बैराठ सभ्यता
- जयपुर में बाणगंगा नदी के किनारे विकसित सभ्यता।
- बैराठ का उत्खनन कार्य दयाराम साहनी के नेतृत्व में 1936-37 ईस्वी में नीलरत्न बनर्जी और कैलाशनाथ दीक्षित द्वारा किया गया।
- डॉक्टर सत्यप्रकाश के अनुसार-"आज़ादी के बाद हमने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो को पाकिस्तान में देकर जो खोया है,उससे कहीं अधिक हमने बैराठ को खोजकर पाया है।
- प्राचीन भारत में 16 महाजनपद थे। इनमे संबंधित दो महाजनपद थे-मत्स्य और शूरसेन महाजनपद।
- शूरसेन महाजनपद की राजधानी थी- मथुरा।
- मत्स्य महाजनपद की राजधानी थी- विराटनगर।
- विराटनगर को आधुनिक बैराठ के नाम से जाना जाता है।
- बैराठ से 3 पहाड़ियां मिली हैं- 1 बीजक डूंगरी। 2 भीम डूंगरी। 3 गणेश /मोती डूंगरी।
- 1837 में कप्तान बर्ट द्वारा बीजक पहाड़ी से अशोक का भाब्रू शिलालेख खोजा गया।
- भाब्रू शिलालेख में शंख लिपि प्रयुक्त हुई है।
- भाब्रू शिलालेख से प्रतीत होता है कि अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी था।
- भाब्रू शिलालेख में बौद्ध धर्म के त्रिरत्नों का उल्लेख मिलता हैं-बुद्ध,धम्म और संघ।
- वर्तमान में यह शिलालेख कलकत्ता संग्रहालय में सुरक्षित हैं।
- चीनी यात्री ह्वेनसांग बैराठ में बौद्ध मठो और भग्नावशेषों को देखने आया था।
- अपने यात्रा-वृत्तांत 'सी-यू-की' में ह्वेनसांग ने राजस्थान के 2 स्थलों-बैराठ और भीनमाल का उल्लेख किया है।
- बैराठ से सूती वस्त्र में बंधी हुई मुद्रायें मिली हैं,जिनकी संख्या 36 हैं। इनमे 28 इंडो-ग्रीक और 8 पंचमार्क/आहत हैं।
- जयपुर नरेश रामसिंह द्वितीय के समय यहां पर उत्खनन किया गया,जिसमे एक स्वर्ण-मंजूषा मिली। इस स्वर्ण-मंजूषा में बौद्ध अवशेष मिले हैं।
- मुग़ल काल में अकबर ने यहाँ पर एक टकसाल खोली। बैराठ सभ्यता के अन्य अवशेष
- यहां से शैल चित्र हैं। अतः बैराठ को "प्राचीन युग की चित्रशाला" कहा गया है।
- पाषाण के शस्त्र बनाने के कारखाने "ढिगारिया " (जयपुर) से मिले हैं।
- जोधपुरा (जयपुर) से लोहा गलाने की भट्टियां मिली हैं।
- मूर्तिकला का प्राचीन केंद्र था-"भैंसलाना"(जयपुर) भैंसलाना वर्तमान में काले संगमरमर हेतू प्रसिद्ध है।
- जयपुर में बाणगंगा नदी के किनारे विकसित सभ्यता।
- बैराठ का उत्खनन कार्य दयाराम साहनी के नेतृत्व में 1936-37 ईस्वी में नीलरत्न बनर्जी और कैलाशनाथ दीक्षित द्वारा किया गया।
- डॉक्टर सत्यप्रकाश के अनुसार-"आज़ादी के बाद हमने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो को पाकिस्तान में देकर जो खोया है,उससे कहीं अधिक हमने बैराठ को खोजकर पाया है।
- प्राचीन भारत में 16 महाजनपद थे। इनमे संबंधित दो महाजनपद थे-मत्स्य और शूरसेन महाजनपद।
- शूरसेन महाजनपद की राजधानी थी- मथुरा।
- मत्स्य महाजनपद की राजधानी थी- विराटनगर।
- विराटनगर को आधुनिक बैराठ के नाम से जाना जाता है।
- बैराठ से 3 पहाड़ियां मिली हैं- 1 बीजक डूंगरी। 2 भीम डूंगरी। 3 गणेश /मोती डूंगरी।
- 1837 में कप्तान बर्ट द्वारा बीजक पहाड़ी से अशोक का भाब्रू शिलालेख खोजा गया।
- भाब्रू शिलालेख में शंख लिपि प्रयुक्त हुई है।
- भाब्रू शिलालेख से प्रतीत होता है कि अशोक बौद्ध धर्म का अनुयायी था।
- भाब्रू शिलालेख में बौद्ध धर्म के त्रिरत्नों का उल्लेख मिलता हैं-बुद्ध,धम्म और संघ।
- वर्तमान में यह शिलालेख कलकत्ता संग्रहालय में सुरक्षित हैं।
- चीनी यात्री ह्वेनसांग बैराठ में बौद्ध मठो और भग्नावशेषों को देखने आया था।
- अपने यात्रा-वृत्तांत 'सी-यू-की' में ह्वेनसांग ने राजस्थान के 2 स्थलों-बैराठ और भीनमाल का उल्लेख किया है।
- बैराठ से सूती वस्त्र में बंधी हुई मुद्रायें मिली हैं,जिनकी संख्या 36 हैं। इनमे 28 इंडो-ग्रीक और 8 पंचमार्क/आहत हैं।
- जयपुर नरेश रामसिंह द्वितीय के समय यहां पर उत्खनन किया गया,जिसमे एक स्वर्ण-मंजूषा मिली। इस स्वर्ण-मंजूषा में बौद्ध अवशेष मिले हैं।
- मुग़ल काल में अकबर ने यहाँ पर एक टकसाल खोली। बैराठ सभ्यता के अन्य अवशेष
- यहां से शैल चित्र हैं। अतः बैराठ को "प्राचीन युग की चित्रशाला" कहा गया है।
- पाषाण के शस्त्र बनाने के कारखाने "ढिगारिया " (जयपुर) से मिले हैं।
- जोधपुरा (जयपुर) से लोहा गलाने की भट्टियां मिली हैं।
- मूर्तिकला का प्राचीन केंद्र था-"भैंसलाना"(जयपुर) भैंसलाना वर्तमान में काले संगमरमर हेतू प्रसिद्ध है।
9 टिप्पणियाँ
Nice collection
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंUtkhanan Karta Kamal Nath Dixit ya Kailash Nath Dixit
जवाब देंहटाएंkailash nath dixit
हटाएंKailash bath dixit
जवाब देंहटाएंKalail ne kab khoja tha
जवाब देंहटाएंCollection for thank you
जवाब देंहटाएंThank
जवाब देंहटाएंSupeb collection
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