RPSC FIRST GRADE गुप्त काल

 गुप्त काल (लगभग 320 से 550 ईस्वी) भारतीय इतिहास का स्वर्णिम युग माना जाता है। इस काल में साहित्य, कला, विज्ञान, धर्म और शासन के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ। इसे "क्लासिकल युग" भी कहा जाता है। आइए गुप्त काल को विस्तार से समझते हैं:


1. गुप्त साम्राज्य का उदय

गुप्त साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त प्रथम (320-335 ईस्वी) ने की।

उसकी शादी लिच्छवि राजकुमारी कुमारदेवी से हुई, जिसने उनके साम्राज्य को राजनीतिक और सामाजिक रूप से सुदृढ़ किया।

समुद्रगुप्त (335-375 ईस्वी) को गुप्त काल का नेपोलियन कहा जाता है। उनकी विजय यात्राओं ने साम्राज्य को अखिल भारतीय स्वरूप दिया।

चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य): इनके शासनकाल में कला, साहित्य और संस्कृति का चरम विकास हुआ।

2. प्रशासन और शासन व्यवस्था

राजतंत्र: राजा सर्वोच्च शासक था।

केंद्रीय प्रशासन: साम्राज्य को प्रांतों (भुक्ति) में विभाजित किया गया।

सामंत व्यवस्था: स्थानीय स्तर पर सामंतों को शासन का जिम्मा सौंपा गया।

कर प्रणाली: कृषि से कर, व्यापार कर, खनिज कर प्रमुख थे।

3. सामाजिक और धार्मिक व्यवस्था

सामाजिक व्यवस्था: वर्ण व्यवस्था को बढ़ावा मिला। ब्राह्मणों का विशेष सम्मान था।

धर्म: हिंदू धर्म का पुनरुत्थान। शिव और विष्णु की पूजा का प्रचलन बढ़ा।

बौद्ध धर्म और जैन धर्म: इनका भी पालन किया गया।

धर्मशास्त्र: इस काल में अनेक धर्मशास्त्र लिखे गए।

नारी की स्थिति: सामान्यतः महिलाएँ घर तक सीमित थीं, लेकिन राजकुमारियों को शिक्षा दी जाती थी।

4. साहित्य और शिक्षा

संस्कृत भाषा का उत्थान: गुप्त काल को संस्कृत साहित्य का स्वर्ण युग कहा जाता है।

प्रमुख लेखक और उनकी कृतियाँ:

कालिदास: अभिज्ञान शाकुंतलम्, मेघदूतम्, रघुवंशम्।

विशाखदत्त: मुद्राराक्षस।

शूद्रक: मृच्छकटिकम्।

अमर सिंह: अमरकोश।

नालंदा विश्वविद्यालय: यह शिक्षा का मुख्य केंद्र था।

5. कला और वास्तुकला

मंदिर निर्माण:

प्रारंभिक मंदिर शैली का विकास।

देवगढ़ (उत्तर प्रदेश) में दशावतार मंदिर।

मूर्ति कला:

बौद्ध, हिंदू और जैन मूर्तियों का निर्माण।

सांची और सारनाथ में उत्कृष्ट मूर्तियाँ।

चित्रकला:

अजंता की गुफाओं में भित्ति चित्र।

सिक्के:

स्वर्ण मुद्राएँ चलाई गईं, जिन पर शासकों और देवताओं के चित्र थे।

6. विज्ञान और गणित

आर्यभट्ट:

उन्होंने आर्यभटीय ग्रंथ लिखा।

दशमलव पद्धति और शून्य का उपयोग।

ग्रहण की वैज्ञानिक व्याख्या।

वराहमिहिर:

पंचसिद्धांतिका ग्रंथ।

खगोलशास्त्र और ज्योतिष पर कार्य।

चिकित्सा:

धवला और सुश्रुत जैसे चिकित्सा ग्रंथ।

7. गुप्त साम्राज्य का पतन

हूणों के आक्रमण: 5वीं शताब्दी के मध्य में हूणों के हमले।

आंतरिक संघर्ष: सामंतवाद के कारण प्रशासन कमजोर हो गया।

साम्राज्य का विभाजन: गुप्त साम्राज्य छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित हो गया।

गुप्त काल की विशेषताएँ

1. साहित्य, कला और विज्ञान का स्वर्ण युग।

2. हिंदू धर्म का पुनरुत्थान।

3. साम्राज्य के विस्तार में समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय की भूमिका।

4. स्थापत्य और मूर्तिकला में उत्कृष्टता।

निष्कर्ष

गुप्त काल भारत के सांस्कृतिक और बौद्धिक इतिहास का सबसे गौरवशाली अध्याय है। यह भारतीय सभ्यता के उस दौर को दर्शाता है, जब कला, विज्ञान और धर्म का अद्भुत संगम हुआ। RPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से, गुप्त काल के साहित्य, कला, विज्ञान और प्रशासन को विशेष रूप से पढ़ना चाहिए।


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